Class 12 Hindi Chapter 3 Question Answer | कविता के बहाने Important Question Answer
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कविता के बहाने Important Question Answer – Short Answer Type Question
- प्रश्न: कुँवर नारायण का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: कुँवर नारायण का जन्म 19 सितंबर 1927 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। - प्रश्न: कुँवर नारायण की प्रमुख काव्य रचना कौन-सी है?
उत्तर: उनकी प्रमुख काव्य रचना “चक्रव्यूह” (1956) है। - प्रश्न: “कविता के बहाने” कविता में कवि ने कविता को किस-किस के साथ जोड़ा है?
उत्तर: कवि ने कविता को चिड़िया, फूल और बच्चों के साथ जोड़ा है। - प्रश्न: “कविता के बहाने” में बच्चे की उड़ान और सपने किस बात का प्रतीक हैं?
उत्तर: बच्चे की उड़ान और सपने कविता की असীম संभावनाओं का प्रतीक हैं। - प्रश्न: “बात सीधी थी पर” कविता में ‘बात’ और ‘भाषा’ के बीच क्या समस्या दर्शाई गई है?
उत्तर: बात सीधे होने के बावजूद भाषा में उलझन और जटिलता आ जाती है। - प्रश्न: कविता और बच्चे को समानांतर रखने का कारण क्या है?
उत्तर: क्योंकि बच्चे के खेल में कोई सीमा नहीं होती, वैसे ही कविता भी सीमाओं से परे होती है। - प्रश्न: “बिना मुरझाए महकने के माने” कविता में क्या दर्शाता है?
उत्तर: इसका मतलब है बिना किसी खराबी या नुकसान के लगातार जीवंत और प्रभावी बने रहना। - प्रश्न: कविता में ‘घर एक कर देने’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है भेदभाव और सीमाओं को मिटाकर सबको एक साथ जोड़ देना। - प्रश्न: ‘भाषा को सहूलियत से बरतना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका मतलब है भाषा को सरल, सहज और स्वाभाविक तरीके से उपयोग करना। - प्रश्न: कुँवर नारायण की कविताओं में किस तरह की भाषा और विषय की विशेषता है?
उत्तर: उनकी भाषा साफ़-सुथरी, संयमित और विषय में यथार्थ के साथ सौंदर्यपूर्ण है।
कविता के बहाने Important Question Answer – Long Answer Type Questions
- प्रश्न: ‘कविता के बहाने’ कविता से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: ‘कविता के बहाने’ कविता हमें यह सिखाती है कि कविता सीमित नहीं होती, बल्कि वह जीवन के विभिन्न पहलुओं के माध्यम से उड़ान भरती है। जैसा कि कविता में चिड़िया, फूल और बच्चे के माध्यम से बताया गया है, कविता प्रकृति और मानव जीवन दोनों में व्याप्त है और उसकी संभावनाएं असीम हैं। बच्चे के सपनों की तरह कविता की सीमाएं नहीं होतीं, यह हमेशा नयी सोच और रचनात्मकता के लिए खुली रहती है। कविता का मकसद घरों को जोड़ना और भेदभाव को खत्म करना भी है, जिससे सब एक समान हो जाएं। इस कविता से यह भी समझ में आता है कि कविता भाषा और समय की सीमाओं को तोड़ कर अपनी उड़ान भर सकती है। - प्रश्न: “बात सीधी थी पर” कविता में भाषा और बात के बीच के तनाव को विस्तार से समझाइए।
उत्तर: “बात सीधी थी पर” कविता में कवि ने बात को सरल और सीधा बताते हुए बताया है कि भाषा की उलझनों के कारण वह बात जटिल और समझने में कठिन हो जाती है। जब बात को सही तरह से व्यक्त करने के लिए भाषा के चक्कर में उलझना पड़ता है, तो बात अपनी ताजगी और प्रभाव खो देती है। कवि ने यह भी बताया कि जब बात को बिना समझे ही जोर-जबर्दस्ती भाषा में मोड़ने की कोशिश की गई तो वह खराब हो गई। यह कविता यह दर्शाती है कि कभी-कभी भाषा की सुंदरता और जटिलता के चलते मूल बात छिप जाती है और संवाद का उद्देश्य अधूरा रह जाता है। - प्रश्न: कविता में इस्तेमाल किए गए ‘चिड़िया’, ‘फूल’ और ‘बच्चा’ के प्रतीकात्मक अर्थ क्या हैं?
उत्तर: कवि ने ‘चिड़िया’, ‘फूल’ और ‘बच्चा’ के माध्यम से जीवन के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाया है। चिड़िया उड़ान की सीमा को दर्शाती है, जिससे सीमा और बंधन का एहसास होता है। फूल खिलने और मुरझाने के चक्र को दर्शाता है, जो जीवन के स्वभाविक बदलाव और समाप्ति को बताता है। बच्चे को उन्होंने समृद्ध, आशावादी और सीमाशून्य प्राणी के रूप में दिखाया है, जिसका सपना और खेल दोनों अनंत होते हैं। यह बच्चे के सपने और खेल के असीमित होने का सूचक है, जो कविता की अपार संभावनाओं का प्रतीक बनता है। - प्रश्न: ‘कविता के बहाने’ में कविता का अस्तित्व यांत्रिकता के दबाव में होने वाली आशंका पर क्या विचार प्रकट किए गए हैं?
उत्तर: कवि ‘कविता के बहाने’ में समय की यांत्रिकता और आधुनिकता के दबाव से कविता के अस्तित्व पर आशंका व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं कि इस युग में कविता के लिए यह चिंता होती है कि वह अपनी असली भावना और सजीवता खो दे। यह कविता उस आशंका के बीच भी विश्वास जताती है कि कविता की संभावनाएं अभी भी व्यापक हैं और वह विभिन्न माध्यमों से खुद को व्यक्त कर सकती है। कवि विश्वास करते हैं कि कविता सीमाओं को तोड़ कर और समय के साथ आगे बढ़ कर जीवित रह सकती है। - प्रश्न: ‘बात’ कविता में ‘बात की चूड़ी मर जाना’ वाक्यांश से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: ‘बात की चूड़ी मर जाना’ का अर्थ है बात का टूटना या बात का नष्ट हो जाना। जैसे चूड़ी टूट जाए तो उसका सौंदर्य और उपयोग समाप्त हो जाता है, वैसे ही जब बात का सही और प्रभावी रूप से अभिव्यक्ति न हो, भाषा में उलझ इसलिए तो बात कमजोर, प्रभावहीन और अर्थहीन हो जाती है। कविता में इसका उपयोग बताता है कि जब बात को भाषा के चक्कर में जोर-जबर्दस्ती मोड़ा जाता है, तो वह अपनी ताकत और साफ़गोई खो देती है। - प्रश्न: ‘बात’ और ‘भाषा’ के द्वंद्व को समझाते हुए बताएं कि यह क्यों महत्वपूर्ण विषय है?
उत्तर: ‘बात’ और ‘भाषा’ के बीच द्वंद्व एक महत्वपूर्ण विषय इसलिए है क्योंकि संवाद की जड़ यही है। बात किसी भी विषय या भाव को व्यक्त करती है, जबकि भाषा वह माध्यम है जिसके जरिए बात को समझाया जाता है। अगर भाषा जटिल या असमंजसपूर्ण हो जाए, तो बात का सही अर्थ सामने नहीं आ पाता और संवाद में बाधा आ जाती है। यह कविता इस समस्या को उजागर करती है कि भाषा की उलझनों के कारण कभी-कभी सीधी और सरल बात भी पेचीदा हो जाती है। यह विषय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बेहतर संवाद के लिए बात और भाषा का समन्वय आवश्यक है। - प्रश्न: कविता में प्रयोग किए गए मुहावरों और बिंबों का कविताओं में क्या महत्व है?
उत्तर: कविता में मुहावरों और बिंबों का प्रयोग अमूर्त विचारों को ठोस और दृश्य रूप देने के लिए किया जाता है। जैसे ‘बात की चूड़ी मर जाना’ मुहावरा बात के टूटने को दर्शाता है। ‘पेंच खोलना’ मतलब बात को समझना कठिन होना। इन बिंबों और मुहावरों की मदद से कवि जटिल भावनाओं और विचारों को सरल और प्रभावी तरीके से पाठक के सामने प्रस्तुत करता है। इससे कविता की भाषा समृद्ध होती है और कवि का संदेश ज्यादा प्रभावशाली ढंग से पहुंचता है। - प्रश्न: कुँवर नारायण की कविता में व्यर्थ उलझाव और सतहीपन का अभाव कैसे दिखता है?
उत्तर: कुँवर नारायण की कविता में व्यर्थ उलझाव और अखबारी सतहीपन नहीं मिलता क्योंकि उनकी भाषा साफ, संयमित और प्रभावशाली होती है। उनकी कविताएं गहरे यथार्थ और सौंदर्य को सहजता से प्रस्तुत करती हैं। वे सीधे साधे और सोच विचार वाले शब्दों का प्रयोग करते हैं, जिससे उनकी कविताओं में विवेकशीलता और स्पष्टता बनी रहती है। उनका कलात्मक दृष्टिकोण शुद्धता और स्वाभाविकता पर आधारित है। - प्रश्न: ‘कविता के बहाने’ और ‘बात’ की कविताओं में मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: ‘कविता के बहाने’ कविता का मुख्य विषय कविता की सीमाओं के पार उड़ान और उसकी अपार संभावनाएं हैं, जबकि ‘बात’ कविता का मुख्य विषय बात और भाषा के बीच की जटिलता और द्वंद्व है। दोनों कविताओं में संवाद और अभिव्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है। पहली कविता में कवि जीवन, प्रकृति और भविष्य के माध्यम से कविता की शक्ति बताते हैं, दूसरी में सीधी बात को सही भाषा में कहने की चुनौती को दिखाया गया है। - प्रश्न: आधुनिक युग में कविता की संभावनाओं पर कुँवर नारायण का क्या दृष्टिकोण है?
उत्तर: कुँवर नारायण का दृष्टिकोण है कि आधुनिक युग में भी कविता की संभावनाएं बहुत व्यापक और असीमित हैं। यांत्रिकता और तकनीकी बदलावों के सारे दबावों के बावजूद, कविता अपनी सृजनात्मक ऊर्जा से सीमाओं को तोड़ सकती है। वे मानते हैं कि कविता भाषा, परिवार, जीवन और समाज की सीमाओं को पार करके खुद को निरंतर नया रूप दे सकती है और जीवित रह सकती है। इसलिए कविता का अस्तित्व खतरे में नहीं है, बल्कि उसकी संभावनाएं बढ़ रही हैं।
Class 12 Hindi Chapter 2 Question Answer | पतंग Important Question Answer
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