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Atmaparichay Class 12 Hindi Question Answer | Hindi Ch 1 आत्मापरिचय Most Important Questions And Answer

इस आर्टीले मे आपको Atmaparichay Class 12 Hindi Question Answer | Hindi Ch 1 आत्मापरिचय Most Important Questions And Answer मिलेंगे । आप इसका इस्तेमाल करके अपने 2026 बोर्डस के परीक्षा मे अच्छे अंक प्राप्त कर सकते है । इसे पूरा पढिए ताकि आत्मापरिचय पाठ कक्ष 12 को लेके कोई भी डाउट न रह जाए ।

Atmaparichay Class 12 Hindi Question Answer

2 marker Short Answer Type Atmaparichay Class 12 Hindi Question Answer

यहा आपको 2 marker Short Answer Type Atmaparichay Class 12 Hindi Question Answer मिलेगा । यह छोटे क्वेस्शन्स है जो आपके एक्समस मे आते है । इसको अच्छे से पढ़ना काफी जरूरी है ।

1. कविता ‘आत्मपरिचय’ किस काव्य संग्रह से ली गई है?

उत्तर:
‘आत्मपरिचय’ कविता हरिवंश राय बच्चन के गीत-संग्रह “निशा निमंत्रण” से ली गई है। यह संग्रह उनकी संवेदनात्मक और गेय शैली की रचनाओं का महत्वपूर्ण उदाहरण है। इसमें कवि ने अपने जीवन-दर्शन, आत्मस्वीकार और संसार से अपने भावनात्मक संबंधों को सहज एवं प्रवाहपूर्ण भाषा में अभिव्यक्त किया है।


2. कवि ने ‘शीतल वाणी में आग’ से क्या तात्पर्य लिया है?

उत्तर:
‘शीतल वाणी में आग’ से आशय यह है कि कवि के शब्द भले ही कोमल, मधुर और शांत प्रतीत हों, लेकिन उनमें भावनाओं की तीव्रता, सत्य कहने का साहस और विचारों की प्रखरता है। यह वाक्यांश व्यक्तित्व में कोमलता और तेजस्विता के अद्भुत मेल को दर्शाता है।


3. ‘प्रीति-कलह’ शब्द में कवि कौन-सा भाव दर्शाना चाहता है?

उत्तर:
‘प्रीति-कलह’ दो विरोधाभासी भावों — प्रेम और विरोध — का मेल है। कवि का संसार से संबंध ठीक ऐसा ही है; वह उससे जुड़ा भी है और उससे असहमति भी रखता है। यह जीवन में प्रेम और संघर्ष के सहअस्तित्व का प्रतीक है।


4. ‘मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ’ पंक्ति से कवि का क्या भाव है?

उत्तर:
इस पंक्ति में कवि कहता है कि वह जीवन और संसार के तमाम अनुभवों — सुख, दुःख, संघर्ष, प्रेम, आशा और निराशा — को अपने हृदय में लेकर चलता है। यह ‘भार’ मानसिक और भावनात्मक जिम्मेदारी का प्रतीक है, जिसे कवि गर्व से वहन करता है।


5. ’मैं और, और जग और’ में ‘और’ शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है?

उत्तर:
यहाँ ‘और’ विभाजन का बोध कराता है। कवि और संसार भौतिक दृष्टि से एक साथ हैं, परंतु मानसिक और भावनात्मक दृष्टि से अलग-अलग हैं। यह उसके आत्मनिष्ठ व्यक्तित्व और स्वतंत्र सोच को दर्शाता है।


6. कवि के व्यक्तित्व में ‘उन्माद’ और ‘अवसाद’ से क्या आशय है?

उत्तर:
‘उन्माद’ कवि के उत्साहपूर्ण, जीवन-प्रेमी और मस्त स्वभाव को दर्शाता है, जबकि ‘अवसाद’ उसके भीतर के दुःख, पीड़ा और संवेदनशील पहलू को इंगित करता है। बच्चन के व्यक्तित्व में दोनों का संतुलित मेल है।


7. ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ पंक्ति की आवृत्ति का उद्देश्य क्या है?

उत्तर:
पंक्ति की आवृत्ति से समय के मूल्य और उसकी क्षणभंगुरता का बोध होता है। यह पंक्ति पाठक के मन में यह संदेश देती है कि हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शीघ्र और सक्रिय रहना चाहिए।


8. कवि किस मध्ययुगीन फ़ारसी कवि से प्रभावित थे?

उत्तर:
हरिवंश राय बच्चन मध्ययुगीन फ़ारसी कवि उमर खय्याम से प्रभावित थे। उनकी ‘मधुशाला’ में यह प्रभाव गहन रूप से दिखाई देता है, जिसमें जीवन को एक सराय, मदिरा और जाम की सांकेतिक रूपकों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।


9. कवि के अनुसार संसार से उसका कैसा संबंध है?

उत्तर:
कवि का संसार से संबंध ‘प्रीति-कलह’ का है — प्रेम और विरोध दोनों का। वह संसार में रहकर उसे स्वीकार भी करता है और उसकी कमियों पर कटाक्ष भी करता है।


10. कवि अपने ‘उर के उद्गार’ से क्या अभिप्राय लेता है?

उत्तर:
‘उर के उद्गार’ से अभिप्राय है हृदय में उठने वाले सच्चे, गहरे और व्यक्तिगत भावों की अभिव्यक्ति। कवि जीवन के अपने अनुभवों और संवेदनाओं को बिना बनावट के सीधे पाठकों के दिल तक पहुँचाना चाहता है।


3 marker Long Answer Type Atmaparichay Class 12 Hindi Question Answer

यहा आपको 3 marker Long Answer Type Atmaparichay Class 12 Hindi Question Answer मिलेगा । यह छोटे क्वेस्शन्स है जो आपके एक्समस मे आते है । इसको अच्छे से पढ़ना काफी जरूरी है ।

1. ‘दुनिया में हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
इस पंक्ति में कवि कहता है कि वह संसार में रहते हुए भी मोह, लालच और भौतिक वस्तुओं की चाहत नहीं रखता। यह वैराग्य नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और संतोष का भाव है। कवि दुनिया का हिस्सा है परंतु उसका ‘खरीदार’ नहीं, यानी वह सांसारिक सौदेबाजी का हिस्सा नहीं है।


2. ‘मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ’ का आशय लिखिए।

उत्तर:
कवि अपने दुखों में भी संगीत, आशा और सौंदर्य की भावना बनाए रखता है। यह बताता है कि जीवन में कठिनाइयाँ होने पर भी हम अपने भीतर सकारात्मकता और कलात्मक दृष्टिकोण को जगा सकते हैं।


3. कवि के अनुसार अपने को जानना कठिन क्यों है?

उत्तर:
कवि का मानना है कि आत्मज्ञान सबसे कठिन कार्य है, क्योंकि व्यक्ति का संसार से संबंध बहुत जटिल और द्वंद्वपूर्ण होता है। संसार के प्रेम, घृणा, आशा और निराशा का मेल व्यक्ति के भीतर परतें बना देता है, जिन्हें समझना आसान नहीं।


4. ‘उन्मादों में अवसाद’ पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
इस पंक्ति में कवि ने विरोधी भावों का सामंजस्य प्रस्तुत किया है। उन्माद — उत्साह और उल्लास का प्रतीक है, जबकि अवसाद — दुःख और विषाद का। कवि दोनों को जीता है और यही उसके अनुभवों की गहराई है।


5. ‘मैं रोया, इसको तुम कहते हो गाना’ — इस पंक्ति में विडंबना भाव कैसे प्रकट होता है?

उत्तर:
यहाँ कवि कह रहा है कि उसकी सच्ची पीड़ा और आँसू को लोग गीत मान लेते हैं। यह इस बात की विडंबना है कि समाज अक्सर कलाकार की कष्टपूर्ण अभिव्यक्ति को मनोरंजन समझ लेता है।


6. ’दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ का प्रतीकात्मक अर्थ बताइए।

उत्तर:
यह पंक्ति जीवन की क्षणभंगुरता का प्रतीक है। समय तेजी से बीत रहा है और हमारे जीवन का ‘दिन’ यानी युवावस्था और अवसर सीमित हैं। हमें अपनी मंज़िल हासिल करने के लिए जल्द कार्य करना चाहिए।


7. ‘शीतल वाणी में आग’ में कवि किस प्रकार का विरोधाभास प्रस्तुत करता है?

उत्तर:
यहाँ कोमलता (शीतल वाणी) और तीव्रता (आग) का संगम है। यह दर्शाता है कि किसी व्यक्ति की मधुर बातचीत में भी सच्चाई, संघर्ष और दृढ़ता हो सकती है।


8. बच्चों के नीड़ों से झाँकने का बिंब कविता में क्या व्यक्त करता है?

उत्तर:
यह बिंब प्रतीक्षा और आशा का है। जैसे बच्चे अपने माता-पिता की प्रतीक्षा करते हैं, वैसे ही मनुष्य अपने सपनों और प्रियजनों के मिलने की उत्सुकता में जीता है।


9. कवि ने ‘मस्ती का वेश’ क्यों धारण किया है?

उत्तर:
जीवन में कठिनाइयों और पीड़ा को झेलते हुए भी कवि ने खुशमिज़ाजी, बेफिक्री और आशावाद को अपना जीवन-मंत्र बनाया है। यही ‘मस्ती का वेश’ है, जो उसे हिम्मत देता है।


10. ‘प्रीति-कलह’ कवि के व्यक्तित्व का सार क्यों कहा जा सकता है?

उत्तर:
क्योंकि कवि के जीवन और कविताओं में प्रेम और संघर्ष का अनोखा संतुलन है। वह संसार से जुड़ा भी है और उससे असहमति भी रखता है, और यही उसका जीवन-दर्शन है।


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