Kale Megha Pani De Question Answer | Class 12 Hindi Chapter 12 Important Questions

This article will provide you with the Kale Megha Pani De Question Answer of Class 12 Hindi Chapter 12. It is one of the most important chapters in Class 12 Hindi for the 2026 boards. Here you will get both long and short answer-type questions.

Kale Megha Pani De Question Answer

Table of Contents

Kale Megha Pani De Question Answer – SHORT ANSWER QUESTIONS

काले मेघा पानी दे – धर्मवीर भारती


लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions) – 2 अंक प्रत्येक

प्रश्न 1: लोगों ने लड़कों की टोली को ‘मेढक-मंडली’ नाम किस आधार पर दिया?

उत्तर:
लोगों ने इन लड़कों को ‘मेढक-मंडली’ नाम दिया क्योंकि ये लड़के बारिश के समय होली के बाद ‘इंदर सेना’ के रूप में निकलते थे और गलियों में पानी माँगते हुए गीत गाते थे। उनके नंगे शरीर, उछलकूद, शोर-शराबे और गीतों से लगता था मानो मेढक टर्राते हुए निकल रहे हों। इसलिए उन्हें मेढक-मंडली कहा गया।


प्रश्न 2: इंदर सेना अपने आप को यह नाम क्यों देती थी?

उत्तर:
इंदर सेना इसे अपना नाम इसलिए देती थी क्योंकि वर्षा के देवता इंद्र को प्रसन्न करने और बारिश की प्रार्थना करने के लिए ये बच्चे निकलते थे। इंद्र के अनुसार, उनकी सेना कहलाती है, इसलिए ये खुद को ‘इंदर सेना’ या ‘इंदर की सेना’ कहते थे। यह एक प्रतीकात्मक नाम था जो उनके उद्देश्य को दर्शाता था।


प्रश्न 3: ‘गुड़धानी’ माँगने का क्या महत्व है?

उत्तर:
‘गुड़धानी’ माँगना परंपरागत रीति-रिवाज़ का हिस्सा था। इंदर सेना पानी के साथ गुड़धानी (गुड़ + धनिया) भी माँगती थी क्योंकि यह एक मीठे व्यंजन के रूप में देवता को अर्पित किया जाता था। इससे लोग अपनी भक्ति और विश्वास को प्रकट करते थे कि वे न केवल पानी माँग रहे हैं, बल्कि पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ देवता को प्रसन्न कर रहे हैं।


प्रश्न 4: गीत में ‘गगरी फूटी, बैल पियासा’ बार-बार क्यों दोहराया जाता है?

उत्तर:
इस गीत में ‘गगरी फूटी, बैल पियासा’ दोहराया जाता है क्योंकि यह सूखे की वास्तविकता को दर्शाता है। सूखे से पानी की कमी से गगरी (पानी रखने का बर्तन) खाली हो जाती है और पशु भी प्यास से मरने लगते हैं। यह लड़कों को उनके पीड़ा और असहायता का प्रतीक है जो वे बारिश न होने पर महसूस करते हैं।


प्रश्न 5: इंदर सेना सबसे पहले ‘गंगा मैया की जय’ क्यों बोलती है?

उत्तर:
इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती है क्योंकि भारतीय संस्कृति में नदियों, विशेषकर गंगा को माता का दर्जा दिया जाता है। गंगा न केवल जीवन का स्रोत हैं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी पवित्र मानी जाती हैं। बारिश और पानी की प्रार्थना करते समय सबसे पहले जल स्रोतों की माता (गंगा) को नमन करना आवश्यक माना जाता है।


प्रश्न 6: जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को कैसे सही ठहराया?

उत्तर:
जीजी ने कहा कि पानी फेंकना ‘बुवाई’ है। उन्होंने समझाया कि जैसे किसान अच्छी फसल पाने के लिए पहले बीज बोता है, वैसे ही यह पानी देना एक बीज बोना है। यह पानी गलियों में से होकर शहर के ऊपर बादलों तक पहुँचेगा, जिससे बादल उस पानी के अर्घ्य को स्वीकार करके खुद भी पानी बरसाएंगे। इस तरह यह ‘त्याग और दान’ का कार्य है, कि बर्बादी नहीं है।


प्रश्न 7: लेखक ने विज्ञान और विश्वास के बीच किस द्वंद्व को दिखाया है?

उत्तर:
लेखक ने दिखाया है कि दोनों के अपने-अपने तर्क हैं। विज्ञान कहता है कि सूखे में पानी को बर्बाद करना गलत है, जबकि विश्वास (परंपरा) कहता है कि इंदर को प्रसन्न करने के लिए यह आवश्यक है। लेखक के मन में यह द्वंद्व था कि क्या यह वास्तविक विश्वास है या केवल अंधविश्वास? विज्ञान का तर्क बेहतर है या भक्ति और परंपरा का सहज प्रेम?


प्रश्न 8: समाज सुधार की परिभाषा लेखक के लिए क्या थी?

उत्तर:
लेखक के लिए समाज सुधार मतलब था अंधविश्वासों से लड़ना और तर्क को प्रमुख देना। जीजी की परंपरागत रीति-रिवाजों के विरुद्ध उसे ‘समाज सुधार’ समिति का उपमंत्री बना दिया गया था। लेखक के मन में अंधविश्वासों के विरुद्ध तीर (तर्क) रहता था, लेकिन वह जीजी के प्रेम को भी नहीं भूल सकता था।


प्रश्न 9: लेखक ने जीजी को पानी के बर्तन को क्यों हाथ से अलग कर दिया?

उत्तर:
लेखक ने जीजी के हाथ से पानी की बाल्टी को अलग कर दिया क्योंकि वह तर्क को मानता था और विश्वास को नहीं। उसे लगता था कि सूखे के समय पानी को इस तरह बर्बाद करना गलत है। यह समाज सुधार की भावना और अंधविश्वास के विरुद्ध बग़ावत थी।


प्रश्न 10: ‘त्याग’ की असली परिभाषा क्या है जीजी के अनुसार?

उत्तर:
जीजी के अनुसार, असली त्याग वह है जहाँ आप अपनी आवश्यकता को पीछे रखकर दूसरों के कल्याण के लिए कुछ त्याग करते हैं। यदि आपके पास बहुत कुछ है और आप कुछ हिस्सा दे दें तो वह त्याग नहीं है। असली त्याग तब है जब आपको भी कम हो, फिर भी आप दूसरे की खातिर अपनी जरूरत को छोड़ देते हैं। तभी आपको देवता का आशीर्वाद मिलता है।


Kale Megha Pani De Question Answer – LONG ANSWER QUESTIONS

प्रश्न 1: पाठ में जीजी के प्रति लेखक की द्वंद्वात्मक भावनाओं का विश्लेषण कीजिए। रिश्तों में भावना-शक्ति और बुद्धि-शक्ति का संतुलन कैसे रहता है?

उत्तर:

पाठ में लेखक की जीजी के प्रति द्वंद्वात्मक भावनाएँ स्पष्ट हैं। एक ओर तो लेखक तार्किक था और समाज सुधार समिति का उपमंत्री बना दिया गया था, जो अंधविश्वासों के खिलाफ था। दूसरी ओर, जीजी उसके सबसे प्रिय व्यक्ति थीं। उसे जीजी से बहुत ममता मिली थी – वे उसके सभी धार्मिक कार्यों में उसका साथ देती थीं, उसकी भक्ति उसी के लिए थी।

जब जीजी पानी फेंकने लगीं, तो लेखक के सामने यह द्वंद्व आ गया: विज्ञान कहता है यह पानी की बर्बादी है, पर जीजी के प्रेम के कारण वह उन्हें चोट नहीं पहुँचाना चाहता था। आखिरकार, लेखक ने विज्ञान को चुना और जीजी को अस्वीकार कर दिया। लेकिन यह अस्वीकार लेखक के आंतरिक द्वंद्व को दर्शाता है।

रिश्तों में भावना-शक्ति और बुद्धि-शक्ति का संतुलन बनाना कठिन होता है। भावना हमें रिश्तों से जोड़ती है, जबकि तर्क हमें सही-गलत का निर्णय करने में मदद देता है। लेकिन जब ये दोनों टकराते हैं, तो हमें एक को दूसरे पर प्राथमिकता देनी पड़ती है। लेखक ने तर्क को चुना, पर इसकी कीमत रिश्ते में दूरी थी।


प्रश्न 2: विश्वास और विज्ञान में से कौन अधिक महत्वपूर्ण है? पाठ के संदर्भ में लेखक का दृष्टिकोण क्या है?

उत्तर:

पाठ में लेखक ने स्पष्ट रूप से कोई निर्णय नहीं दिया है, बल्कि दोनों की सार्थकता दिखाई है।

विज्ञान का पक्ष:
लेखक विज्ञान के तर्क को समझता है। सूखे के समय पानी की कमी है, ऐसे में इसे बर्बाद करना गलत है। विज्ञान कहता है कि मेघ तो भाप से बनते हैं, पानी फेंकने से बारिश नहीं होगी। यह तार्किक और तर्कसंगत दृष्टिकोण है।

विश्वास का पक्ष:
लेकिन जीजी विश्वास की भी महत्ता समझाती हैं। वे कहती हैं कि विश्वास का भी अपना सामर्थ्य है। सूखे के समय निराशा दूर करने में, लोगों को एक साथ लाने में, सामूहिक चेतना को जोड़ने में विश्वास की रचनात्मक भूमिका हो सकती है।

लेखक का दृष्टिकोण:
लेखक को लगता है कि दोनों महत्वपूर्ण हैं, पर उसके समय में समाज सुधार के नाम पर केवल विज्ञान को महत्व दिया जा रहा था। लेखक सोचता है: क्या केवल विज्ञान से ही समाज बदलेगा? क्या परंपरागत विश्वास भी अपनी जगह पर सार्थक नहीं हो सकते?

पाठ के अंत में लेखक को लगता है कि शायद दोनों की आवश्यकता है – विज्ञान की तार्किकता और विश्वास की भावुकता का संतुलन। लेकिन यह संतुलन बनाना बहुत कठिन है।


प्रश्न 3: पाठ में ‘परंपरा’ (ब्राह्मण्य) और ‘आधुनिकता’ का द्वंद्व कैसे दिखा है? लेखक इस समस्या का समाधान कहाँ देखता है?

उत्तर:

पाठ में परंपरा और आधुनिकता का स्पष्ट द्वंद्व दिखाई देता है:

परंपरा का पक्ष (जीजी द्वारा प्रतिनिधित्व):

  • इंदर सेना, बुवाई, गंगा की पूजा, त्योहार, व्रत – ये सब परंपरागत विश्वास हैं
  • गाँव की संस्कृति और रीति-रिवाज़
  • भक्ति, विश्वास और समर्पण की भावना
  • समाज को एक साथ रखने का माध्यम

आधुनिकता का पक्ष (लेखक द्वारा प्रतिनिधित्व):

  • समाज सुधार समिति, वैज्ञानिक दृष्टिकोण
  • तर्क, विचार और विश्लेषण
  • अंधविश्वासों के विरुद्ध बग़ावत
  • विकास और प्रगति की ओर कदम

द्वंद्व के बिंदु:
लेखक को परंपरा में अंधविश्वास दिखता है, पर जीजी से मिली ममता उसे इसे पूरी तरह नकारने से रोकती है। जीजी का तर्क है कि परंपरा केवल अंधविश्वास नहीं है, बल्कि उसमें जीवन-दर्शन है।

लेखक का दृष्टिकोण:
पाठ के अंत में लेखक विलक्षण समझ प्रदान करता है। वह कहता है:

  1. विश्वास को केवल अंधविश्वास मानकर पूरी तरह नकारना गलत है
  2. विज्ञान भी अधूरा है – यह केवल भौतिक सत्य देता है
  3. समाज को न केवल वैज्ञानिक दृष्टि की जरूरत है, बल्कि मानवीय मूल्यों की भी
  4. परंपरा में भी कुछ सार्थक है, विशेषकर संकट के समय

लेखक का संकेत यह है कि समाधान न केवल परंपरा में है, न ही केवल विज्ञान में, बल्कि दोनों का संतुलित मिश्रण है। संस्कृति को पूरी तरह नष्ट करके केवल विज्ञान से समाज नहीं बदलेगा।


प्रश्न 4: जीजी के व्यक्तित्व की विशेषताएँ क्या हैं? वह लेखक को कौन से मानवीय मूल्य सिखाती हैं?

उत्तर:

जीजी के व्यक्तित्व की विशेषताएँ:

  1. परंपरा की रक्षक: जीजी सभी त्योहार, व्रत, पूजा-पाठ को पूरी भक्ति से मनाती हैं। वे पूरे घर की धार्मिक कार्यों की देखभाल करती हैं।
  2. वात्सल्य की मूर्ति: लेखक के लिए उनका प्यार अपार है। वे लेखक के सभी कार्यों में शामिल रहना चाहती हैं, उसके पुण्य में भागीदारी करना चाहती हैं।
  3. सहिष्णु और समझदारी: जब लेखक ने उन्हें अस्वीकार किया, तब भी वे गुस्से में नहीं आईं। बल्कि उन्होंने प्यार से लेखक को समझाया।
  4. तर्कशील: हालाँकि वे परंपरावादी हैं, पर उनके पास तर्क भी है। वे अपने विश्वास को तर्क से सही ठहराती हैं।
  5. गांधीवादी चिंतन: गांधी की सामाजिक चेतना उनमें मिलती है। ‘यथा प्रजा तथा राजा’ – यह विचार वे लेखक को समझाती हैं।

जीजी द्वारा सिखाए गए मानवीय मूल्य:

  1. त्याग और दान: असली दान वह है जहाँ आप अपनी आवश्यकता को पीछे रखकर दूसरे को देते हैं।
  2. ममता और प्रेम: परिवार के सदस्यों के प्रति अपार प्रेम और ममता।
  3. सामूहिकता: समूह के साथ चलना, समाज के दुःख में भागीदारी करना।
  4. विश्वास की शक्ति: कठिन समय में विश्वास ही आशा का स्रोत है।
  5. संवेदनशीलता: गाँव के बच्चों, पशुओं, सूखे की समस्या के प्रति संवेदनशील रहना।
  6. नैतिकता: हर कार्य में नैतिकता और धार्मिकता का पालन।
  7. व्यावहारिक ज्ञान: उन्हें कृषि, ऋषि-मुनियों के विचार, सामाजिक परिवर्तन – सब का अनुभव है।

जीजी एक सार्वभौमिक माता का प्रतीक हैं जो परंपरा को संरक्षित करते हुए भी आधुनिक विचारों के प्रति समझदारी रखती हैं।


प्रश्न 5: ‘काले मेघा पानी दे’ शीर्षक में ‘काले’ शब्द का क्या महत्व है? यह पाठ का केंद्रीय विषय कैसे बन गया?

उत्तर:

‘काले’ शब्द के कई आयाम हैं:

शाब्दिक अर्थ:
‘काले’ का सीधा अर्थ है ‘काले रंग के’। बारिश वाले बादल काले रंग के होते हैं। इसलिए ‘काले मेघा’ से तात्पर्य है – बारिश के बादल।

प्रतीकात्मक अर्थ:

  1. आशा का प्रतीक: सूखे के दिनों में काले बादल आशा की किरण बन जाते हैं। हर कोई बारिश की प्रतीक्षा करता है।
  2. जीवन का प्रतीक: पानी ही जीवन है। काले बादल = पानी = जीवन
  3. समस्या का प्रतीक: पानी की कमी एक गंभीर समस्या है। ‘काले मेघा’ वह समाधान है जो नहीं आ रहा।
  4. विश्वास का प्रतीक: जब विज्ञान विफल हो जाता है, तब लोग ‘काले मेघा’ से प्रार्थना करते हैं।

केंद्रीय विषय:
यह पाठ दरअसल ‘काले मेघा’ की प्रतीक्षा का एक यात्रा है:

  1. सामाजिक समस्या: गाँव में सूखा, प्यास, भूख – सब कुछ
  2. लोक-परंपरा: इंदर सेना, बुवाई, विश्वास – सब ‘काले मेघा’ की प्रतीक्षा में
  3. व्यक्तिगत द्वंद्व: लेखक का विज्ञान vs. जीजी का विश्वास – दोनों ‘काले मेघा’ की चाह रखते हैं
  4. मानवीय संघर्ष: अंतिम प्रश्न – ‘कब बदलेगी यह स्थिति?’ – ‘काले मेघा’ कब आएगा?

पाठ की गहराई:
‘काले मेघा’ केवल बारिश नहीं है, बल्कि यह हर उस चीज़ का प्रतीक है जो हमारा समाज चाहता है:

  • किसानों के लिए पानी और फसल
  • बच्चों के लिए जीवन और आशा
  • समाज के लिए विकास और समृद्धि
  • व्यक्ति के लिए संतुष्टि और शांति

इसलिए शीर्षक ‘काले मेघा पानी दे’ पूरे पाठ की आत्मा है – यह एक प्रार्थना है, एक आशा है, एक संघर्ष है।


प्रश्न 6: संस्कृति और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है? अपने विचार से समझाइए।

उत्तर:

संस्कृति और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है:

पाठ में संतुलन न होने के परिणाम:

  1. लेखक पूरी तरह विज्ञान पर विश्वास करते हुए जीजी को अस्वीकार कर देता है
  2. इससे उसके और जीजी के बीच दूरी आती है
  3. पारिवारिक रिश्तों में दरार पड़ जाती है
  4. लेखक के मन में अपराध-बोध रह जाता है

आधुनिकता के बिना संस्कृति के नुकसान:

  1. अंधविश्वास को मजबूती मिलती है
  2. समाज का विकास रुक जाता है
  3. तार्किकता की कमी होती है
  4. विज्ञान का विरोध होता है

उदाहरण: यदि पूरा समाज केवल विश्वास पर ही चले, तो चिकित्सा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी – कुछ भी विकसित नहीं हो सकता।

संस्कृति के बिना आधुनिकता के नुकसान:

  1. सामाजिक ताना-बाना टूट जाता है
  2. नैतिक मूल्य खो जाते हैं
  3. रिश्ते-नाते कमजोर पड़ जाते हैं
  4. समाज की पहचान मिट जाती है
  5. मानुष्यता समाप्त हो जाती है

उदाहरण: यदि समाज केवल विज्ञान और तर्क पर ही चले, और त्याग, दान, प्रेम भूल जाए, तो यह समाज भी सूना हो जाएगा।

संतुलन के लाभ:

  1. समाज प्रगति करता है पर अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है
  2. तार्किकता होती है पर ह्रदय में संवेदनशीलता भी रहती है
  3. विकास होता है पर नैतिकता बनी रहती है
  4. रिश्ते-नाते मजबूत रहते हैं
  5. समाज न तो पुरातनपंथी होता है न ही उन्मुक्त

व्यावहारिक संतुलन:
जीजी के शब्दों में: ‘विज्ञान का तर्क लड़ाई करने के लिए, पर विश्वास की भूमिका भी स्वीकार करनी चाहिए।’

यानी:

  • अंधविश्वास को चुनौती दें (विज्ञान से)
  • पर सांस्कृतिक मूल्यों को नष्ट न करें
  • तर्क से सोचें, पर ह्रदय से महसूस करें
  • प्रगति करें, पर परंपरा का सम्मान करें

वर्तमान समय में महत्व:
आज का भारत इसी समस्या का सामना कर रहा है:

  • एक ओर आधुनिकता की दौड़
  • दूसरी ओर परंपरा को बचाने की कोशिश
  • बीच में खड़ा है भारतीय युवा, भारतीय समाज

इसलिए संतुलन ही एकमात्र समाधान है – न पूरी तरह पुरानी सोच, न पूरी तरह आधुनिक, बल्कि दोनों का विवेकपूर्ण मिश्रण।

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