Namak Ka Daroga Class 11 Hindi Chapter 1 NCERT Solutions And Important Questions | नमक का दारोगा

नमक का दारोगा – Chapter Summary & Solutions

📖 नमक का दारोगा

लेखक: प्रेमचंद

📚 कहानी का सारांश

कहानी का विषय: यह कहानी धर्म और धन के संघर्ष, ईमानदारी और भ्रष्टाचार के बीच की लड़ाई को दर्शाती है।

मुख्य कथानक:

  • मुंशी वंशीधर एक शिक्षित युवक हैं जो नमक विभाग में दारोगा पद पर नियुक्त होते हैं।
  • उनके पिता उन्हें नौकरी में ऊपरी आय कमाने की सलाह देते हैं, लेकिन वंशीधर ईमानदारी का मार्ग चुनते हैं।
  • एक रात वंशीधर पंडित अलोपीदीन को नमक की तस्करी करते हुए पकड़ते हैं।
  • पंडित अलोपीदीन धनवान और प्रभावशाली व्यक्ति हैं। वे घूस देकर वंशीधर को खरीदने की कोशिश करते हैं।
  • वंशीधर 40 लाख रुपये की घूस ठुकरा देते हैं और अलोपीदीन को गिरफ्तार कर लेते हैं।
  • अदालत में धन की शक्ति के कारण अलोपीदीन बरी हो जाते हैं और वंशीधर को नौकरी से निकाल दिया जाता है।
  • अंत में, अलोपीदीन वंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित होकर उन्हें अपनी पूरी संपत्ति का मैनेजर बना देते हैं।

कहानी का संदेश:

यह कहानी आदर्शोन्मुख यथार्थवाद का उदाहरण है। यह समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को दिखाते हुए भी अंत में सत्य और ईमानदारी की जीत का संदेश देती है।

मुंशी वंशीधर

ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, धर्मपरायण युवक जो सिद्धांतों पर दृढ़ रहते हैं।

पंडित अलोपीदीन

धनवान जमींदार, प्रभावशाली व्यक्ति, अंत में वंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित।

वृद्ध मुंशीजी

वंशीधर के पिता, जो व्यावहारिक सलाह देते हैं लेकिन बेटे की ईमानदारी पर गर्व करते हैं।

📝 पाठ के साथ (प्रश्न-उत्तर)

1. कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों?

उत्तर: कहानी में मुंशी वंशीधर का चरित्र सर्वाधिक प्रभावित करता है। वे एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ नौकर हैं जो धन के प्रलोभन में नहीं आते। पंडित अलोपीदीन द्वारा 40 लाख रुपये की घूस की पेशकश को ठुकराना और अपने कर्तव्य का पालन करना उनके दृढ़ चरित्र को दर्शाता है। नौकरी खोने के बाद भी वे अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हैं। उनका चरित्र युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।

2. ‘नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं?

उत्तर: पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के दो पहलू हैं:

  • नकारात्मक पक्ष: वे धन और प्रभाव का दुरुपयोग करते हैं। नमक की तस्करी करना, अधिकारियों को घूस देना और न्याय व्यवस्था को अपने पक्ष में करना उनके भ्रष्ट स्वभाव को दिखाता है।
  • सकारात्मक पक्ष: वे गुणों की कद्र करते हैं। वंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित होकर उन्हें अपनी पूरी संपत्ति का मैनेजर बनाना उनके उदार और सच्चाई का सम्मान करने वाले स्वभाव को दर्शाता है।

3. कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी-न-किसी सच्चाई को उजागर करते हैं।

(क) वृद्ध मुंशी: “नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।”

सच्चाई: समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और ऊपरी आय की व्यावहारिक सोच को दर्शाता है। यह दिखाता है कि पुरानी पीढ़ी किस प्रकार भ्रष्टाचार को स्वाभाविक मानती थी।

(ख) वकील: “पंडित अलोपीदीन के विरुद्ध दिए गए प्रमाण निर्मूल और भ्रमात्मक हैं। वह एक बड़े भारी आदमी हैं।”

सच्चाई: न्याय व्यवस्था में धन और प्रभाव का दुरुपयोग होता है। वकील सच्चाई से ज्यादा पैसे के लिए काम करते हैं।

(ग) शहर की भीड़: “जिसे देखिए, वही पंडितजी के इस व्यवहार पर टीका-टिप्पणी कर रहा था, निंदा की बौछारें हो रही थीं।”

सच्चाई: समाज में पाखंड व्याप्त है। लोग खुद भ्रष्ट हैं लेकिन दूसरों की निंदा करने में आगे रहते हैं।

4. निम्न पंक्तियों का विश्लेषण

(क) यह किसकी उक्ति है?

यह वृद्ध मुंशीजी (वंशीधर के पिता) की उक्ति है।

(ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है?

मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद इसलिए कहा गया है क्योंकि जैसे पूर्णिमा का चाँद एक दिन दिखाई देता है और फिर घटते-घटते लुप्त हो जाता है, वैसे ही वेतन महीने की शुरुआत में मिलता है और खर्चों में खत्म हो जाता है।

(ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं?

नहीं, इस वक्तव्य से सहमत नहीं हुआ जा सकता। एक पिता को अपने बेटे को ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाना चाहिए, न कि भ्रष्टाचार की शिक्षा देनी चाहिए। यह सोच समाज में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।

5. ‘नमक का दारोगा’ कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए।

वैकल्पिक शीर्षक:

  • धर्म की विजय: कहानी में अंत में ईमानदारी और धर्म की धन पर विजय होती है।
  • सत्य का सम्मान: अलोपीदीन अंततः वंशीधर की सच्चाई और ईमानदारी का सम्मान करते हैं।

6. कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर: अलोपीदीन द्वारा वंशीधर को मैनेजर नियुक्त करने के कई कारण हो सकते हैं:

  • वंशीधर की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से वे बहुत प्रभावित हुए थे।
  • उन्हें एहसास हुआ कि धन से सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता।
  • वे चाहते थे कि उनकी संपत्ति का प्रबंधन एक ईमानदार व्यक्ति करे।
  • वंशीधर की नौकरी जाने का अपराध-बोध भी एक कारण हो सकता है।
  • वे समझ गए कि योग्यता और विद्वता से बढ़कर ईमानदारी और चरित्र है।

वैकल्पिक अंत: मैं कहानी का अंत यथार्थवादी बनाता और दिखाता कि वंशीधर को उनकी ईमानदारी के लिए सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जाता और उन्हें उच्च पद पर नियुक्त किया जाता।

🤔 पाठ के आस-पास (विचारात्मक प्रश्न)

1. वंशीधर का पंडित अलोपीदीन के यहाँ मैनेजर की नौकरी करना क्या उचित था?

उत्तर: यह प्रश्न विवादास्पद है। एक ओर वंशीधर ने अपने सिद्धांतों के लिए नौकरी गंवाई और अलोपीदीन उनकी ईमानदारी से प्रभावित होकर सुधर गए। दूसरी ओर, उसी व्यक्ति के यहाँ काम करना जिसे उन्होंने गिरफ्तार किया था, थोड़ा विरोधाभासी लगता है।

यदि मैं वंशीधर की जगह होता, तो मैं पहले अलोपीदीन की मंशा और सुधार को जांचता। यदि वे सच में बदल गए हैं, तो उनके साथ काम करना समाज के लिए सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

2. वर्तमान समाज में ऐसा कौन-सा पद होगा जिसे पाने के लिए लोग लालायित रहते होंगे और क्यों?

उत्तर: वर्तमान में निम्न पद लालायित किए जाते हैं:

  • IAS/IPS अधिकारी: प्रतिष्ठा, शक्ति और प्रभाव
  • राजनीतिक पद: सत्ता और धन का अवसर
  • बड़ी कंपनियों के CEO: उच्च वेतन और सुविधाएं
  • सरकारी ठेकेदार: अवैध कमाई के अवसर

लोग इन पदों के लिए इसलिए लालायित रहते हैं क्योंकि इनमें प्रतिष्ठा, धन और प्रभाव की संभावना होती है।

3. ‘पढ़ना-लिखना’ को किस अर्थ में प्रयुक्त किया गया होगा: साक्षरता अथवा शिक्षा?

उत्तर: यहाँ ‘पढ़ना-लिखना’ शिक्षा के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है, केवल साक्षरता के अर्थ में नहीं।

अंतर:

  • साक्षरता: केवल लिखना-पढ़ना जानना
  • शिक्षा: ज्ञान, मूल्य, संस्कार और चरित्र का विकास

वृद्ध मुंशीजी का कहना था कि वंशीधर की शिक्षा व्यर्थ गई क्योंकि वे व्यावहारिक नहीं बने।

✍️ भाषा की बात

1. भाषा की चित्रात्मकता और मुहावरों का प्रयोग

उदाहरण:

  • “पीर का मजार” – बेकार की चीज
  • “पूर्णमासी का चाँद” – एक दिन दिखना फिर गायब होना
  • “धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला” – सच्चाई की जीत
  • “दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी” – लोग निंदा में तत्पर

इन मुहावरों के प्रयोग से कहानी जीवंत और प्रभावशाली बनी है।

2. मासिक वेतन के लिए विशेषण

कहानी में प्रयुक्त: “पूर्णमासी का चाँद”

अन्य विशेषण:

  • मृगतृष्णा: जो दिखे लेकिन मिले नहीं (खर्चों में खत्म हो जाए)
  • बर्फ का टुकड़ा: जो जल्दी पिघल जाए (जल्दी खत्म हो जाए)

🎯 कहानी के मुख्य विषय

  • ईमानदारी बनाम भ्रष्टाचार: वंशीधर की ईमानदारी और समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार का संघर्ष
  • धर्म बनाम धन: नैतिकता और भौतिकता के बीच का द्वंद्व
  • न्याय व्यवस्था: कानूनी व्यवस्था में धन का प्रभाव
  • सामाजिक पाखंड: समाज में व्याप्त दोगलापन और पाखंड
  • आदर्शवाद की जीत: अंततः सच्चाई और ईमानदारी की विजय

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